
नई दिल्ली: 28 जुलाई को में के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन () के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगा। शनिवार को याचिकाकर्ता असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म () की ओर से काउंटर एफिडेविट दाखिल किया गया है और प्रक्रिया पर सवाल उठाया गया है।संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आयोग की नागरिकता सत्यापन प्रक्रिया शीर्ष अदालत के पूर्व फैसलों का उल्लंघन करती है और यह मतदाताओं के साथ धोखा है। की ओर से कहा गया है कि जिन मतदाताओं ने नामांकन ऑर्म और सहायक दस्ततावेज जमा नहीं किए हैं और जिनके नाम 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली मसौदा सूची में नहीं हैं, उनके नाम सूची से हटा दिए जाएंगे, जब तक कि वे नाम शामिल करने के लिए दावा दायर न करें।
एक ERO पर 3 लाख फॉर्मों की जिम्मेदारी
एक बार दावा दायर करने पर अगर इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन अफसर (ERO) को मतदाता की पात्रता को लेकर कोई संदेह होता है, तो वह स्वतः संज्ञान लेकर जांच शुरू कर सकता है। वह नोटिस जारी कर सकता है कि मतदाता का नाम क्यों न हटाया जाए। ADR का तर्क है कि एक को 3 लाख से अधिक लोगों के नामांकन फॉर्मों को संभालने का काम सौंपा गया है, जिससे उनके लिए सावधानीपूर्वक या उचित रूप से यह प्रक्रिया करना मानवतः असंभव है।सहमति के बिना अपलोड हो रहे फॉर्म
ADR का कहना है कि ने निर्धारित अवास्तविक लक्ष्य को हासिल करने के लिए नामांकन फॉर्म केवल मतदाताओं की सहमति के बिना बड़ी संख्या में अपलोड किए जा रहे हैं। कई मामलों में, मतदाताओं के फॉर्म ऑनलाइन सबमिट किए गए हैं और उन्हें अपने फोन पर प्राप्ति रसीद मिली है, जबकि उन्होंने कभी किसी बूथ लेवल अफसर (BLO) से मुलाकात नहीं की या किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किया। द्वारा मतदाताओं की जानकारी और सहमति के बिना नामांकन फॉर्म बड़े पैमाने पर अपलोड किए जा रहे हैं, ताकि द्वारा निर्धारित अवास्तविक लक्ष्य हासिल किया जा सके।from https://ift.tt/9yICb07
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